Essence: Sweet children, the Father has come to change human beings into deities. Therefore, give thanks to Him from your heart. Continue to follow shrimat and have true love for just the One.
Question: What are the signs of children who love the Father?
Answer: Those who truly love the Father remember only Him and only follow His directions. They never cause sorrow for anyone through their thoughts, words or deeds. They never have animosity towards anyone. They give their true account to the Father. They protect themselves from bad company.
Song: Have patience o mind! Your days of happiness are about to come.
Essence for dharna:
1. While seeing the part of every actor, don’t have animosity towards anyone. Don’t cause anyone sorrow through your thoughts, words or deeds.
2. Give your full account to the Father. Have a totally loving intellect at the time of destruction. Let your activity be elevated according to shrimat. Remain cautious of bad company.
Blessing: May you be a holy swan who swims in the water of knowledge and flies in an elevated stage.
Just as a swan swims in water and also flies, in the same way, you children who are true holy swans know how to fly and swim. To churn knowledge means to swim in the nectar or water of knowledge and to fly means to stay in an elevated stage. Such holy swans who churn knowledge and stay in an elevated stage can never be disheartened or become hopeless. They put a full stop to the past, become free from the web of “Why?”, “What?” etc., fly and make others fly.
Slogan: Only those who become jewels and sparkle in the centre of the Father’s forehead are jewels of the forehead.
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - बाप मनुष्य से देवता बनाने आये हैं तो उनकी दिल
से शुक्रिया मानो श्रीमत पर चलते रहो, एक से सच्ची प्रीत रखो''
प्रश्न: जिन बच्चों की बाप से प्रीत है, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर: बाप से सच्ची प्रीत है तो एक
उन्हें ही याद करेंगे, उनकी ही मत पर चलेंगे। मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी
दु:ख नहीं देंगे। किसी के प्रति घृणा नहीं रखेंगे। अपना सच्चा-सच्चा
पोतामेल बाप को देंगे। कुसंग से अपनी सम्भाल करेंगे।
गीत:- धीरज धर मनुआ...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) हर एक पार्टधारी के पार्ट को देखते हुए, किसी से भी घृणा नहीं करना है। मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
1) हर एक पार्टधारी के पार्ट को देखते हुए, किसी से भी घृणा नहीं करना है। मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
2) बाप को अपना पूरा पोतामेल देना है। विनाश काले पूरा प्रीत बुद्धि
बनना है। श्रीमत पर अपनी चलन श्रेष्ठ बनानी है। कुसंग से सम्भाल करनी है।
वरदान: ज्ञान जल में तैरने और ऊंची स्थिति में उड़ने वाले होलीहंस भव
जैसे हंस सदा पानी में तैरते भी हैं और उड़ने वाले भी होते हैं, ऐसे
आप सच्चे होलीहंस बच्चे उड़ना और तैरना जानते हो। ज्ञान मनन करना अर्थात्
ज्ञान अमृत वा ज्ञान जल में तैरना और उड़ना अर्थात् ऊंची स्थिति में रहना।
ऐसे ज्ञान मनन करने वा ऊंची स्थिति में रहने वाले होलीहंस कभी भी दिलशिकस्त
वा नाउम्मींद नहीं हो सकते। वह बीती को बिन्दी लगाए, क्या क्यों की जाल से
मुक्त हो उड़ते और उड़ाते रहते हैं।
स्लोगन: मणि बन बाप के मस्तक के बीच चमकने वाले ही मस्तकमणि हैं।
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