Essence: Sweet children, you have to become as sweet as the Father. Don’t cause sorrow for anyone. Never become angry.
Question: Knowing the deep philosophy of karma, what sinful acts can you children not perform?
Answer: Until today, you had been thinking that giving donations are charitable acts, but you now understand that even in donating, sometimes sin is accumulated because if you donate money to a person who uses it for committing sin, that would definitely affect your stage. Therefore, donate with understanding.
Song: Take us away from this world of sin, to a place of rest and comfort!
Essence for dharna:
1. Let your behaviour be very royal. Speak very little and very sweetly. In order to be saved from punishment, follow the Father’s shrimat at every step.
2. Study very well with a lot of attention. Follow the mother and father and become worthy of being seated on the throne; become an heir. Don’t be influenced by anger and thereby cause sorrow.
Blessing: May you be a master creator and celebrate perfection by keeping your unlimited rights in your awareness.
At the confluence age you children receive an inheritance, on the basis of how you study you receive a source of income and you also receive blessings. Keep these rights through all three relationships emerged in your awareness as you take every step. Now, time, matter and Maya are waiting to bid farewell. You master creator children simply have to celebrate the state of perfection and they will bid farewell. Look in the mirror of knowledge: if destruction were to take place this moment, what would I become?
Slogan: Keep your balance at every moment in every action and you will automatically receive blessings from everyone.
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - तुम्हें बाप समान मीठा बनना है, किसी को दु:ख नहीं देना है, कभी क्रोध नहीं करना है
प्रश्न: कर्मो की गुह्य गति को जानते हुए तुम बच्चे कौन सा पाप कर्म नहीं कर सकते?
उत्तर: आज दिन तक दान को पुण्य कर्म समझते थे, लेकिन अब समझते हो दान करने से भी कई बार पाप बनता है क्योंकि अगर किसी ऐसे को पैसा दिया जो पैसे से पाप करे, उसका असर भी तुम्हारी अवस्था पर अवश्य ही पड़ेगा इसलिए दान भी समझकर करना है।
गीत:- इस पाप की दुनिया से.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अपनी चलन बहुत रॉयल रखनी है, बहुत कम और मीठा बोलना है। सजाओं से बचने के लिए कदम-कदम पर बाप की श्रीमत पर चलना है।
2) पढ़ाई बहुत ध्यान से अच्छी तरह पढ़नी है। माँ बाप को फालो कर तख्तनशीन, वारिस बनना है। क्रोध के वश होकर दु:ख नहीं देना है।
वरदान: बेहद के अधिकार को स्मृति में रख सम्पूर्णता की बधाईयां मनाने वाले मास्टर रचयिता भव
संगमयुग पर आप बच्चों को वर्सा भी प्राप्त है, पढ़ाई के आधार पर सोर्स आफ इनकम भी है और वरदान भी मिले हुए हैं। तीनों ही सम्बन्ध से इस अधिकार को स्मृति में इमर्ज रखकर हर कदम उठाओ। अभी समय, प्रकृति और माया विदाई के लिए इन्तजार कर रही है सिर्फ आप मास्टर रचयिता बच्चे, सम्पूर्णता की बंधाईयां मनाओ तो वो विदाई ले लेगी। नॉलेज के आइने में देखो कि अगर इसी घड़ी विनाश हो जाए तो मैं क्या बनूंगा?
स्लोगन: हर समय, हर कर्म में बैलेन्स रखो तो सर्व की ब्लैसिंग स्वत: प्राप्त होंगी।
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - तुम्हें बाप समान मीठा बनना है, किसी को दु:ख नहीं देना है, कभी क्रोध नहीं करना है
प्रश्न: कर्मो की गुह्य गति को जानते हुए तुम बच्चे कौन सा पाप कर्म नहीं कर सकते?
उत्तर: आज दिन तक दान को पुण्य कर्म समझते थे, लेकिन अब समझते हो दान करने से भी कई बार पाप बनता है क्योंकि अगर किसी ऐसे को पैसा दिया जो पैसे से पाप करे, उसका असर भी तुम्हारी अवस्था पर अवश्य ही पड़ेगा इसलिए दान भी समझकर करना है।
गीत:- इस पाप की दुनिया से.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अपनी चलन बहुत रॉयल रखनी है, बहुत कम और मीठा बोलना है। सजाओं से बचने के लिए कदम-कदम पर बाप की श्रीमत पर चलना है।
2) पढ़ाई बहुत ध्यान से अच्छी तरह पढ़नी है। माँ बाप को फालो कर तख्तनशीन, वारिस बनना है। क्रोध के वश होकर दु:ख नहीं देना है।
वरदान: बेहद के अधिकार को स्मृति में रख सम्पूर्णता की बधाईयां मनाने वाले मास्टर रचयिता भव
संगमयुग पर आप बच्चों को वर्सा भी प्राप्त है, पढ़ाई के आधार पर सोर्स आफ इनकम भी है और वरदान भी मिले हुए हैं। तीनों ही सम्बन्ध से इस अधिकार को स्मृति में इमर्ज रखकर हर कदम उठाओ। अभी समय, प्रकृति और माया विदाई के लिए इन्तजार कर रही है सिर्फ आप मास्टर रचयिता बच्चे, सम्पूर्णता की बंधाईयां मनाओ तो वो विदाई ले लेगी। नॉलेज के आइने में देखो कि अगर इसी घड़ी विनाश हो जाए तो मैं क्या बनूंगा?
स्लोगन: हर समय, हर कर्म में बैलेन्स रखो तो सर्व की ब्लैसिंग स्वत: प्राप्त होंगी।
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