Essence: Sweet children, you are the adopted children of God. Become pure and claim your inheritance of the pure world. This is the time of the final period; therefore, you must definitely become pure.
Question: Why can you give the title of ‘ostrich’ to human beings of today?
Answer: If you tell an ostrich to fly, it says, “I don’t have wings, I am a camel.” If you say, “Achcha, if you are a camel, carry the load!” it says “I am a bird.” Such is the state of people of today! If you ask them, “Why do you call yourselves Hindus instead of deities?” They say, “Deities were pure whereas we are impure.” If you say to them, “Achcha, change from impure to pure” they then say, “We don’t have time.” Maya has cut off the wings of purity. This is why those who say that they don’t have time are like ostriches. You children must not be like ostriches.
Song: Salutations to Shiva.
Essence for dharna:
1. Follow the Father’s shrimat and become completely viceless. Claim the kingdom of the world through this study. With the fire of yoga, remove the alloy that has been mixed into the soul.
2. Become soul conscious and remember the Father. The more remembrance you have, the more the Father will continue to protect you.
Blessing: May you use at the right time the blessings you have received from the Father and make them fruitful and become an image that grants blessings.
Use at the right time whatever blessings you have received from BapDada and those blessings will remain with you permanently. In order to make the seed of the blessing fruitful, give it the water of awareness again and again and give it the sunshine of remaining stable in the form of the blessing. Then, one blessing will bring many other blessings with it and, as a result, you will become an image that grants blessings. The more you use the blessings at a time of need, the more the blessings will continue to show your elevated form.
Slogan: When you have natural attention, tension will automatically finish.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम हो ईश्वर के एडाप्टेड बच्चे, तुम्हें पावन बन पावन दुनिया का वर्सा लेना है, यह अन्त का समय है इसलिए पवित्र जरूर बनना है''
प्रश्न: इस समय के मनुष्यों को ऊंट-पक्षी (शुतुरमुर्ग) का टाइटल दे सकते हैं - क्यों?
उत्तर: क्योंकि ऊंट-पक्षी जो होता उसे कहो उड़ो तो कहेगा पंख नहीं, मैं ऊंट हूँ। बोलो अच्छा सामान उठाओ तो कहेगा मैं पक्षी हूँ। ऐसे ही आज के मनुष्यों की हालत है। जब उनसे पूछा जाता तुम अपने को देवता के बजाए हिन्दू क्यों कहलाते हो तो कहते देवतायें तो पावन हैं, हम पतित हैं। बोलो अच्छा अब पतित से पावन बनो तो कहते फुर्सत नहीं। माया ने पवित्रता के पंख ही काट दिये हैं इसलिए जो कहते हमें फुर्सत नहीं वह हैं ऊंटपक्षी। तुम बच्चों को ऊंटपक्षी नहीं बनना है।
गीत:- ओम् नमो शिवाए....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बाप की श्रीमत पर चलकर सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है। पढ़ाई से विश्व की राजाई लेनी है। आत्मा में जो खाद पड़ी है उसे योग अग्नि से निकालना है।
2) आत्म-अभिमानी बन बाप को याद करना है जितना याद में रहेंगे उतना बाप रक्षा करता रहेगा।
वरदान: बाप द्वारा मिले हुए वरदानों को समय पर कार्य में लगाकर फलीभूत बनाने वाले वरदानी मूर्त भव
बापदादा द्वारा जो भी वरदान मिलते हैं उन्हें समय पर कार्य में लगाओ तो वरदान कायम रहेंगे। वरदान के बीज को फलदायक बनाने के लिए उसे बार-बार स्मृति का पानी दो, वरदान के स्वरूप में स्थित होने की धूप दो। तो एक वरदान अनेक वरदानों को साथ में लायेगा और फल स्वरूप वरदानी मूर्त बन जायेंगे। जितना वरदानों को समय पर कार्य में लगायेंगे उतना वरदान और श्रेष्ठ स्वरूप दिखाता रहेगा।
स्लोगन: अटेन्शन नेचरल हो तो टेन्शन स्वत: खत्म हो जायेगा।
Murli Song
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