Wednesday, August 1, 2012

Essence of Murli 01-08-2012

Essence: Sweet children, repeatedly practise becoming soul conscious: I am a soul. I shed a body and take another. I now have to return home. 


Question: Which festival is the main one and why? 


Answer: The main festival is Raksha Bandhan because when the Father ties the bond of purity, Bharat becomes heaven. At the time of Raksha Bandhan, you children can explain to everyone when the celebration of this festival began and why. There is no need for this bond in the golden age. They say that the festival of Raksha Bandhan has existed since the beginning of time. 


Song: Salutations to Jagadamba. 


Essence for dharna: 
1. While speaking with authority, let there also be respect. Show everyone the way to change from impure to pure. 
2. Stay in unadulterated remembrance. Don’t remember the name or form of any bodily being. Promise the Father that you will become pure. 


Blessing: May you be a most elevated and special soul who imbibes the greatness of purity and who constantly performs pure actions. 


When ordinary souls imbibe purity, they are called great souls. Purity is the greatness and purity is worthy to be worshipped. It is the purity of Brahmins that is praised. Whenever any auspicious task is to take place, it is carried out by (worldly) brahmins. There are many who are brahmins in name, but only you special souls do such work as per your name. You also perform ordinary actions in remembrance of the Father and they thereby become special and this is why those who perform such special actions become the most elevated and special souls. 


Slogan: To give all souls the experience of happiness through the self is to become a master bestower of happiness. 



“मीठे बच्चे- तुम्हें एक-एक को परिस्तानी बनाना है, तुम हो सबका कल्याण करने वाले, तुम्हारा कर्तव्य है गरीबों को साहूकार बनाना” 

प्रश्न: बाप का कौन-सा नाम भल साधारण है लेकिन कर्तव्य बहुत महान है? 

उत्तर: बाबा को कहते हैं बागवान-खिवैया। यह नाम कितना साधारण है लेकिन डूबने वाले को पार ले जाना, यह कितना महान कर्तव्य है। जैसे तैरने वाले तैराक एक-दो को हाथ में हाथ दे पार ले जाते हैं, ऐसे बाप का हाथ मिलने से तुम स्वर्गवासी बन जाते हो। अभी तुम भी मास्टर खिवैया हो। तुम हरेक की नईया को पार लगाने का रास्ता बताते हो। 


गीत:- जय जय अम्बे माँ ...

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) नर से नारायण बनने के लिए रोज़ सत्य बाप से सुनना है। सत-संग करना है। कभी मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को दु:ख नहीं देना है। 
2) विजय माला का दाना बनने वा पास विद् ऑनर होने के लिए याद की रफ्तार तेज करनी है। मास्टर पतित-पावन बन सबको पावन बनाने की सेवा करनी है। 

वरदान: सर्व खजानों को समय पर यू़ज कर निरन्तर खुशी का अनुभव करने वाले खुशनसीब आत्मा भव 

बापदादा द्वारा ब्राह्मण जन्म होते ही सारे दिन के लिए अनेक श्रेष्ठ खुशी के खजाने प्राप्त होते हैं। इसलिए आपके नाम से ही अब तक अनेक भक्त अल्पकाल की खुशी में आ जाते हैं, आपके जड़ चित्रों को देखकर खुशी में नाचने लगते हैं। ऐसे आप सब खुशनसीब हो, बहुत खजाने मिले हैं लेकिन सिर्फ समय पर यूज करो। चाबी को सदा सामने रखो अर्थात् सदा स्मृति में रखो और स्मृति को स्वरूप में लाओ तो निरन्तर खुशी का अनुभव होता रहेगा। 

स्लोगन: बाप की श्रेष्ठ आशाओं का दीपक जगाने वाले ही कुल दीपक हैं। 


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