Essence: Sweet children, imbibe the sweet points of knowledge that the Father tells you. Become very sweet, like milk and sugar. Never become like salt water.
Question: With which great mantra do you children receive the tilak of the new kingdom?
Answer: At this time, the Father gives you children the great mantra: Sweet, beloved children, remember the Father and your inheritance. While living at home with your family, live like a lotus and you will receive the tilak of the kingdom.
Question: It is said: As is your vision, so the world. Why is there this saying?
Answer: Human beings at this time are impure and ugly and so they accordingly create such images of their worthy-of-worship deities Lakshmi and Narayan and Rama and Sita. They even create images of Shiv Baba in black stone and worship Him. They don’t understand what that means. This is why there is this saying.
Song: O man, look in the mirror of your heart!
Essence for dharna:
1. Do everything you have to do with love, not with anger. Remain constantly cheerful by remembering the Father. Constantly continue to smile like the deities.
2. Through the fire of remembrance remove the alloy mixed in the soul. Have your sins absolved. Become courageous and do service. Don’t be afraid.
Blessing: May you be complete and perfect and experience supersensuous joy by making the foundation of purity strong.
The foundation of Brahmin life is purity. If this foundation is strong, you can experience complete happiness and peace. If you lack the experience of supersensuous joy and sweet silence, the foundation of purity is definitely weak. It is not a small thing to adopt this vow. BapDada gives blessings from His heart and congratulates the souls who observe the vow of purity. In order to receive the blessing of being complete and perfect by observing this vow, bring about transformation by putting a full stop to thinking, seeing, speaking and doing anything wasteful.
Slogan: To remain constantly lost in the depths of One is to be one in solitude.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप जो ज्ञान की मीठी-मीठी बातें सुनाते हैं वह धारण करनी है - बहुत मीठा क्षीरखण्ड बनकर रहना है, कभी लून-पानी नहीं होना है''
प्रश्न: किस महामन्त्र से तुम बच्चों को नई राजधानी का तिलक मिल जाता है?
उत्तर: बाप इस समय तुम बच्चों को महामन्त्र देते हैं मीठे लाडले बच्चे - बाप और वर्से को याद करो। घर गृहस्थ में रहते कमल फूल समान रहो तो राजधानी का तिलक तुम्हें मिल जायेगा।
प्रश्न:- कहा जाता जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि...यह कहावत क्यों है?
उत्तर:- इस समय के मनुष्य जैसे पतित हैं, काले हैं ऐसे अपने पूज्य देवताओं को, लक्ष्मी-नारायण, राम सीता को, शिवबाबा को भी काला बनाए उनकी पूजा करते हैं। समझते नहीं इसका अर्थ क्या है, इसीलिए यह कहावत है।
गीत:- मुखडा देख ले...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) कोई भी काम प्यार से निकालना है, क्रोध से नहीं। बाप की याद में सदा हर्षित रहना है। सदा देवताओं जैसे मुस्कराते रहना है।
2) आत्मा में जो खाद पड़ी है वह याद की अग्नि से निकालनी है। विकर्म विनाश करने हैं। बहादुर बन सेवा करनी है। डरना नहीं है।
वरदान: पवित्रता के फाउन्डेशन को मजबूत कर अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने वाले सम्पूर्ण और सम्पन्न भव
ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन पवित्रता है। ये फाउण्डेशन मजबूत है तो सम्पूर्ण सुख-शान्ति की अनुभूति होती है। यदि अतीन्द्रिय सुख वा स्वीट साइलेन्स का अनुभव कम है तो जरूर पवित्रता का फाउण्डेशन कमजोर है। ये व्रत धारण करना कम बात नहीं है। बापदादा पवित्रता के व्रत को पालन करने वाली आत्माओं को दिल से दुआओं सहित मुबारक देते हैं। इस व्रत में सम्पूर्ण और सम्पन्न भव का वरदान प्राप्त करने के लिए व्यर्थ सोचने, देखने, बोलने और करने में फुलस्टॉप लगाकर परिवर्तन करो।
स्लोगन: सदा एक के अन्त में खोये हुए रहना - यही एकान्तवासी बनना है।
Murli Song
Blessing: May you be complete and perfect and experience supersensuous joy by making the foundation of purity strong.
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