Essence: Sweet children, the religion and action of you Brahmins of the confluence age is to drink the nectar of knowledge and also to give it to others to drink. You do the service of changing residents of hell into residents of heaven.
Question: Of which deep philosophy of karma have you Brahmins been given knowledge?
Answer: If, after belonging to the Father, you ever perform a sinful act through your senses, there will be one hundred-fold punishment for each sin committed. You Brahmins have this knowledge and this is why you cannot perform any sinful actions. The aim of you Brahmins is to become full of all virtues. Therefore, you have to make effort to remove your defects.
Song: No one is unique like the Innocent Lord.
Essence for dharna:
1. Pay attention that your register is not spoilt. Obey the Father’s orders and become soul conscious. Don’t make any mistakes through your physical senses.
2. In order to become full of all virtues, don’t perform any sinful act, through your physical senses, which would make you accumulate sin. You have to settle all your old karmic accounts.
Blessing: May you have a pure attitude with your mind full of power and thereby sustain everyone through your awareness of being an ancestor.
Whenever you see or meet souls of any religion, have the awareness that all of those souls belong to the progeny of your great-great-grandfather. We Brahmin souls are ancestors and ancestors sustain everyone. The form of your alokik sustenance is to fill other souls with all the powers that you have received from the Father. Sustain the soul with whichever power that that soul needs. For this, your attitude has to be very pure and your mind has to be filled with power.
Slogan: Those who have the imperishable wealth of knowledge are the wealthiest of all in the world.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम संगमयुगी ब्राह्मणों का धर्म और कर्म है ज्ञान अमृत पीना और पिलाना, तुम नर्कवासी को स्वर्गवासी बनाने की सेवा करते हो''
प्रश्न: तुम ब्राह्मणों को कर्मों की किस गुह्य गति का ज्ञान मिला है?
उत्तर: अगर बाप का बनने के बाद कभी भी अपनी कर्मेन्द्रियों से कोई पाप कर्म किया तो एक पाप का सौगुणा दण्ड पड़ जायेगा - यह ज्ञान तुम ब्राह्मणों को है, इसलिए तुम कोई भी पाप कर्म नहीं कर सकते हो। अभी तुम ब्राह्मणों का लक्ष्य है - सर्वगुण सम्पन्न बनना, इसलिए तुम अपने अवगुणों को निकालने का ही पुरूषार्थ करो।
गीत:- भोलेनाथ से निराला....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अपना रजिस्टर खराब न हो इसका ध्यान रखना है। बाप की आज्ञा मान देही-अभिमानी बनना है। कर्मेन्द्रियों से कोई भी भूल नहीं करनी है।
2) सर्वगुण सम्पन्न बनने के लिए कर्मेन्द्रियों से ऐसा कोई पाप कर्म न हो जाए जिसका विकर्म बन जाये। पुराना हिसाब-किताब चुक्तू करना है।
वरदान: पूर्वजपन की स्मृति द्वारा सर्व की पालना करने वाले शुभ वृत्ति वा मंसा शक्ति सम्पन्न भव
किसी भी धर्म की आत्माओं को मिलते वा देखते हो तो यह स्मृति रहे कि यह सब आत्मायें हमारे ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर की वंशावली हैं। हम ब्राह्मण आत्मायें पूर्वज हैं। पूर्वज सभी की पालना करते हैं। आपकी अलौकिक पालना का स्वरूप है बाप द्वारा प्राप्त हुई सर्व शक्तियां अन्य आत्माओं में भरना। जिस आत्मा को जिस शक्ति की आवश्यकता है, उसकी उस शक्ति द्वारा पालना करना। इसके लिए अपनी वृत्ति बहुत शुद्ध और मन्सा, शक्ति सम्पन्न होनी चाहिए।
स्लोगन: जिसके पास ज्ञान का अविनाशी धन है-वही दुनिया में सबसे बड़ा सम्पत्तिवान है।
Murli Song
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