Essence: Sweet children, the spiritual Father has created this sacrificial fire of the knowledge of Rudra. You Brahmins are protectors of this sacrificial fire. You are becoming praiseworthy, but you cannot be worshipped.
Question: What will the stage of you children be when you have been completely enlightened with knowledge?
Answer: At that time your stage will remain unshakeable and immovable. No type of storm of Maya will shake you. You will have reached your karmateet stage. Because you don’t yet have complete enlightenment of knowledge, you have storms and dreams of Maya etc. This is a battlefield. New desires will emerge but you mustn’t be afraid of them. Take shrimat from the Father and continue to move forward.
Song: Having found You, I have found everything. The earth and sky all belong to me.
Essence for dharna:
1. Definitely study the murli every day. Don’t be afraid of the storms of Maya. In order to be saved from any kind of deceit, continue to take shrimat.
2. This study and yoga are together. Therefore, remember the Father, the One who teaches you. Have faith in the intellect and make others the same. Give the Father ‘s introduction to everyone.
Blessing: May you have a balance of karma and yoga and thereby receive everyone’s blessings and become an embodiment of easy success.
A karma yogi who has yoga in karma and karma in yoga means one who has elevated awareness, an elevated stage and who creates an elevated atmosphere and so claims a right to blessings from everyone. By having balance of karma and yoga, you definitely receive blessings from the Father anyway and you also receive blessings from whomever you come into contact and relationship with. Everyone thinks of such a soul as good and to think of that one as good is a blessing. Where there are blessings, there is co-operation and these blessings and co-operation make you into an embodiment of success.
Slogan: To remain constantly happy and to distribute the treasures of happiness is real service.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - रूहानी बाप ने यह रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है, इस यज्ञ के रक्षक तुम ब्राह्मण हो, तुम गायन लायक बनते हो, लेकिन अपनी पूजा नहीं करा सकते हो''
प्रश्न: तुम बच्चों में जब ज्ञान की पराकाष्ठा हो जायेगी, तो उस समय की स्थिति क्या होगी?
उत्तर: उस समय तुम्हारी स्थिति अचल, अडोल होगी। किसी भी प्रकार के माया के तूफान हिला नहीं सकेंगे। तुम्हारी कर्मातीत अवस्था हो जायेगी। अभी तक ज्ञान की पूरी पराकाष्ठा न होने के कारण माया के तूफान, स्वप्न आदि आते हैं। यह युद्ध का मैदान है, नई-नई आशायें प्रगट हो जायेंगी। परन्तु तुम्हें इनसे डरना नहीं है। बाप से श्रीमत ले आगे बढ़ते रहना है।
गीत:- तुम्हें पाके हमने जहाँ ...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) मुरली रोज़ जरूर पढ़नी है। माया के तूफानों से डरना नहीं है। किसी भी प्रकार के धोखे से बचने के लिए श्रीमत लेते रहना है।
2) पढ़ाई और योग दोनों इकट्ठा हैं इसलिए पढ़ाने वाले बाप को याद करना है। निश्चय बुद्धि बनना और बनाना है। बाप का ही परिचय सबको देना है।
वरदान: कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त करने वाले सहज सफलतामूर्त भव
कर्म में योग और योग में कर्म - ऐसा कर्मयोगी अर्थात् श्रेष्ठ स्मृति, श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ वायुमण्डल बनाने वाला सर्व की दुआओं का अधिकारी बन जाता है। कर्म और योग के बैलेन्स से हर कर्म में बाप द्वारा ब्लैसिंग तो मिलती ही है लेकिन जिसके भी संबंध-सम्पर्क में आते हैं उनसे भी दुआयें मिलती हैं, सब उसे अच्छा मानते हैं, यह अच्छा मानना ही दुआयें हैं। तो जहाँ दुआयें हैं वहाँ सहयोग है और यह दुआयें व सहयोग ही सफलतामूर्त बना देता है।
स्लोगन: सदा खुश रहना और खुशियों का खजाना बांटते रहना यही सच्ची सेवा है।
Murli Song
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