Essence: Sweet children, awaken in the early morning hours of nectar and pour in the oil of remembrance of the Father. The light of the soul will then remain constantly lit.
Question: Which task is the children’s, not the Father’s?
Answer: Children ask Baba to open the lock on the intellect of such and such a relative. Baba says: This is not My business; this is the task of you children. The locks on your intellects have opened, so you must open the locks on the intellects of others and make them also worthy to go to heaven, that is, you must show everyone the path to liberation and liberation-in-life.
Song: Awaken, o brides awaken! The new age is about to come.
Essence for dharna:
1. Increase the practice of remembrance. Do not become tired on this pilgrimage or make excuses. Keep a full chart of remembrance. Prepare and eat food in remembrance of Shiv Baba.
2. Have unlimited renunciation through the intellect. Renounce this dirty world from the intellect. Give everyone the mantra you have received from the Father. Since you have awakened, you must awaken others.
Blessing: May you be a spiritual server and attract others with your attractive stage.
Spiritual servers can never think that there isn’t growth in service or that there isn’t anyone to listen to them. There are many who want to listen, but you simply have to make your stage spiritually attractive. Since a magnet is able to attract metal towards itself, then, can your spiritual power not pull souls to you? So, become magnets that have spiritual attraction through which souls will automatically be attracted and come in front of you. This is the service of you spiritual server children.
Slogan: In order to become an embodiment of solutions, continue to give love and respect to everyone.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अमृतवेले उठ बाप की याद का घृत रोज़ डालो, तो आत्मा रूपी ज्योति सदा जगी रहेगी''
प्रश्न: कौन सा एक कर्तव्य बच्चों का है, बाप का नहीं?
उत्तर: बच्चे कहते हैं बाबा फलाने सम्बन्धी की बुद्धि का ताला खोलो... बाबा कहते यह धन्धा मेरा नहीं। यह तो तुम बच्चों का कर्तव्य है। तुम्हारी बुद्धि का ताला खुला है तो तुम औरों का भी ताला खोल स्वर्ग में चलने के लायक बनाओ अर्थात् सबको मुक्ति और जीवनमुक्ति की राह बताओ।
गीत:- जाग सजनियां जाग....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) याद का अभ्यास बढ़ाना है। इस यात्रा में कभी थकना वा बहाना नहीं देना है। याद का पूरा-पूरा चार्ट रखना है। भोजन भी शिवबाबा की याद में बनाना वा खाना है।
2) बुद्धि से बेहद का सन्यास करना है। इस छी-छी दुनिया को बुद्धि से त्याग देना है। बाप द्वारा जो मन्त्र मिला है वही सबको देना है। जगे हैं तो जगाना भी है।
वरदान: अपनी आकर्षणमय स्थिति द्वारा सर्व को आकर्षित करने वाले रूहानी सेवाधारी भव
रूहानी सेवाधारी कभी यह नहीं सोच सकते कि सेवा में वृद्धि नहीं होती या सुनने वाले नहीं मिलते। सुनने वाले बहुत हैं सिर्फ आप अपनी स्थिति रूहानी आकर्षणमय बनाओ। जब चुम्बक अपनी तरफ खींच सकता है तो क्या आपकी रूहानी शक्ति आत्माओं को नहीं खींच सकती! तो रूहानी आकर्षण करने वाले चुम्बक बनो जिससे आत्मायें स्वत: आकर्षित होकर आपके सामने आ जायें, यही आप रूहानी सेवाधारी बच्चों की सेवा है।
स्लोगन: समाधान स्वरूप बनना है तो सबको स्नेह और सम्मान देते चलो।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.