Essence: Sweet children, you have to become master oceans of love. Never cause sorrow for anyone, but continue to move along with great love for each other.
Question: While moving along, which children's throats are choked by Maya?
Answer: Maya chokes the throats of those who have even a little doubt about any aspect or who experience the bad omens of lust or anger. They experience such bad omens that they leave the study. They do not understand how they forgot everything that they studied and taught others. Their intellects become locked.
Song: You are the Ocean of Love! We thirst for one drop.
Essence for dharna:
1 In order to save yourself from the bad omens of Maya, always remain true to the true Father. Having made mistakes, do not hide them from the Father. Remain free from wrong actions.
2. Not to follow shrimat is also a vice. Therefore, do not disobey any shrimat. You have to become completely viceless.
Blessing: May you perform your tasks on the basis of elevated touchings through your carefree stage and become an embodiment of success.
While performing any task, always remember that this great Baba is sitting here and your stage will then remain carefree. To remain in this carefree stage is a huge sovereignty. Nowadays, everyone is an emperor of worry whereas you are carefree emperors. Those who worry can never have success because they waste their time and power in worrying, and they spoil the task about which they are worrying. However, because you remain carefree, you therefore receive elevated touchings at the right time and achieve success in your service.
Slogan: A soul whose every thought and every second are powerful is an embodiment of knowledge.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें मास्टर प्यार का सागर बनना है, कभी भी किसी को दु:ख नहीं देना है, एक दो के साथ बहुत प्यार से रहना है''
प्रश्न: माया चलते-चलते किन बच्चों का गला एकदम घोट देती है?
उत्तर: जो थोड़ा भी किसी बात में संशय उठाते हैं, काम या क्रोध की ग्रहचारी बैठती तो माया उनका गला घोट देती है। उन पर फिर ऐसी ग्रहचारी बैठती है जो पढ़ाई ही छोड़ देते हैं। समझ में ही नहीं आता कि जो पढ़ते और पढ़ाते थे वह सब कैसे भूल गया। बुद्धि का ताला ही बन्द हो जाता है।
गीत:- तू प्यार का सागर है...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) माया की ग्रहचारी से बचने के लिए सच्चे बाप से सदा सच्चे रहना है। कोई भी भूल कर छिपाना नहीं है। उल्टे कर्मों से बचकर रहना है।
2) श्रीमत पर न चलना भी विकार है इसलिए कभी भी श्रीमत का उल्लंघन नहीं करना है। सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है।
वरदान: अपनी निश्चिंत स्थिति द्वारा श्रेष्ठ टचिंग के आधार पर कार्य करने वाले सफलतामूर्त भव
कोई भी कार्य करते सदा स्मृति रहे कि ''बड़ा बाबा बैठा है'' तो स्थिति सदा निश्चिंत रहेगी। इस निश्चिंत स्थिति में रहना भी सबसे बड़ी बादशाही है। आजकल सब फिक्र के बादशाह हैं और आप बेफिक्र बादशाह हो। जो फिक्र करने वाले होते हैं उन्हें कभी भी सफलता नहीं मिलती क्योंकि वह फिक्र में ही समय और शक्ति को व्यर्थ गंवा देते हैं। जिस काम के लिए फिक्र करते वह काम बिगाड़ देते। लेकिन आप निश्चिंत रहते हो इसलिए समय पर श्रेष्ठ टचिंग होती है और सेवाओं में सफलता मिल जाती है।
स्लोगन: ज्ञान स्वरूप आत्मा वह है जिसका हर संकल्प, हर सेकण्ड समर्थ है।
A soul whose every thought and every second are powerful is an embodiment of knowledge.
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