Essence: Sweet children, remember the Father and the cycle. There is no need to say anything through your lips. Simply remove your heart from this hell and you will become ever-free from disease.
Question: What advice does the Father come and give you children directly in order for you to create your elevated reward?
Answer: Children, everything you have is now going to end. Nothing will be of any use. Therefore, like Sudama, create your future reward. The Father has come directly and so use everything you have in a worthwhile way. Open a hospital-cum-college through which many can benefit. Show everyone the path. Always continue to follow shrimat.
Essence for dharna:
1. In this final birth, become completely pure and stay in remembrance of only the Father. Remove your heart from this impure world.
2. Become a spinner of the discus of self-realisation. Open a hospital-cum-college and benefit many. Take shrimat from the Supreme Surgeon at every step.
Blessing: May you be a world benefactor who puts all four subjects into your form.
All four subjects of the study are connected with one another. Those who are gyani souls would also definitely be yogi souls and the actions of those who have made gyan and yoga their nature would naturally be filled with wisdom and elevated. They would be embodiments of dharna in their nature and sanskars. Those who have the treasure of experiences in these three subjects become master bestowers, that is, they automatically become servers. Those who claim number one in all four subjects are said to be world benefactors.
Slogan: Make gyan and yoga your nature and your actions will naturally be elevated and filled with wisdom.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप को और चक्र को याद करो, मुख से कुछ भी बोलने की दरकार नहीं, सिर्फ इस नर्क से दिल हटा दो तो तुम एवर निरोगी बन जायेंगे''
प्रश्न:- बाप डायरेक्ट आकर अपने बच्चों की श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने के लिए कौन सी राय देते हैं?
उत्तर:- बच्चे, अब तुम्हारा सब कुछ खत्म होने वाला है। कुछ भी काम नहीं आयेगा इसलिए सुदामे की तरह अपनी भविष्य प्रालब्ध बना लो। बाप डायरेक्ट आया है तो अपना सब कुछ सफल कर लो। हॉस्पिटल कम कॉलेज खोल दो जिससे बहुतों का कल्याण हो। सबको रास्ता बताओ। श्रीमत पर सदा चलते रहो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस अन्तिम जन्म में सम्पूर्ण पवित्र बन बाप की याद में ही रहना है। इस पतित दुनिया से दिल हटा देना है।
2) स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। हॉस्पिटल कम कॉलेज खोल अनेकों का कल्याण करना है। हर कदम पर सुप्रीम सर्जन से श्रीमत लेनी है।
वरदान:- चारों ही सबजेक्ट को अपने स्वरूप में लाने वाले विश्व कल्याणकारी भव
पढ़ाई की जो चार सबजेक्ट हैं, उन सबका एक दो के साथ सम्बन्ध है। जो ज्ञानी तू आत्मा है, वह योगी तू आत्मा भी अवश्य होगा और जिसने ज्ञान-योग को अपनी नेचर बना लिया उसके कर्म नेचुरल युक्तियुक्त वा श्रेष्ठ होंगे। स्वभाव - संस्कार धारणा स्वरूप होंगे। जिनके पास इन तीनों सबजेक्ट की अनुभूतियों का खजाना है वह मास्टर दाता अर्थात् सेवाधारी स्वत: बन जाते हैं। जो इन चारों सबजेक्ट में नम्बरवन लेते हैं उन्हें ही कहा जाता है विश्व कल्याणकारी।
स्लोगन:- ज्ञान-योग को अपनी नेचर बनाओ तो कर्म नेचुरल श्रेष्ठ और युक्तियुक्त होंगे।
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