Essence: Sweet children, you will go from the Brahmin clan into the elevated clan of Vishnu, so you must become true Vaishnavs. Do not eat anything impure such as onions etc.
Question: Which examination should you children not be afraid of or confused about?
Answer: If, while moving along, something happens to that old shoe (body), if there is any difficulty or you become ill, you must not be afraid or confused but, instead, you should be even happier, because you understand that it is the suffering of karma, that your old karmic accounts are being settled. If we are not able to settle them through the power of yoga, then they are settled through suffering of karma. It is good if they are settled quickly.
Song: Our pilgrimage is unique.
Essence for dharna:
1. In order to claim a high status, be a good salesman in Shiv Baba’s shop. Feel the pulse of each one before giving knowledge.
2. Do not speak sorrowful words under the influence of anger. Having given a guarantee that you will become a helper of the Father, do not perform any action that might cause disservice.
Blessing: May you finish all waste with the method of keeping your intellect busy and be constantly powerful.
Only those who adopt the method of keeping their intellects busy are able to remain constantly powerful. The easy method to finish all waste and to become powerful is to remain constantly busy. Therefore, every morning, just as you make your physical timetable, in the same way, make a timetable to keep your intellect busy: At this time, I will finish all waste by keeping this powerful thought in my intellect. If you remain busy, Maya will run away from a distance.
Slogan: In order to forget the world of sorrow, remain constantly lost in love of God.
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मण कुल श्रेष्ठ, विष्णुकुल का बनने वाले हो, इसलिए तुम्हें पक्का वैष्णव बनना है, कोई भी बेकायदे चीज़ें प्याज़ आदि भी नहीं खाना है'' प्रश्न: तुम बच्चों को किस परीक्षा से डरना व मूँझना नहीं है?
उत्तर: अगर चलते-चलते इस पुरानी जुत्ती (शरीर) को कोई तकलीफ होती है, बीमारी आदि आती है तो इससे डरना व मूंझना नहीं है और ही खुश होना है, क्योंकि तुम जानते हो - यह कर्म भोग है। पुराना हिसाब-किताब चुक्तू हो रहा है। हम योगबल से हिसाब-किताब नहीं चुक्तू कर सके तो कर्म भोग से चुक्तू हो रहा है। यह जल्दी खत्म हो तो अच्छा है।
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ऊंच पद पाने के लिए शिवबाबा की हट्टी (दुकान) का अच्छा सेल्समैन बनना है। हर एक की नब्ज देखकर फिर उसे ज्ञान देना है।
2) क्रोध के वश हो मुख से दु:खदाई बोल नहीं बोलने हैं। बाप का मददगार बनने की गैरन्टी कर कोई भी डिस-सर्विस का काम नहीं करना है।
वरदान: बुद्धि को बिजी रखने की विधि द्वारा व्यर्थ को समाप्त करने वाले सदा समर्थ भव
सदा समर्थ अर्थात् शक्तिशाली वही बनता है जो बुद्धि को बिजी रखने की विधि को अपनाता है। व्यर्थ को समाप्त कर समर्थ बनने का सहज साधन ही है-सदा बिजी रहना इसलिए रोज़ सवेरे जैसे स्थूल दिनचर्या बनाते हो ऐसे अपनी बुद्धि को बिजी रखने का टाइम-टेबल बनाओ कि इस समय बुद्धि में इस समर्थ संकल्प से व्यर्थ को खत्म करेंगे। बिजी रहेंगे तो माया दूर से ही वापस चली जायेगी।
स्लोगन: दु:खों की दुनिया को भूलना है तो परमात्म प्यार में सदा खोये रहो।
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