Thursday, January 17, 2013

Essence of Murli 17-01-2013

Essence: Sweet children, since you have died a living death, you have to forget everything. Only listen to what the one Father explains and remember the Father: “I sit with You alone…” 

Question: What teachings are given by the Father, the Bestower of Salvation, for the salvation of you children? 

Answer: Baba says: Children, in order to attain salvation, become bodiless and remember the Father and the cycle. Through this yoga you will become ever-healthy and free from disease and you will not have to repent for any of your actions. 

Question: What is the sign of those who do not receive the fortune of the happiness of heaven? 

Answer: When it comes to listening to knowledge, they say that they don’t have time. They will never become members of the Brahmin clan. They will also never even know that God comes in a certain form. 

Song: The heart desires to call You. 

Essence for dharna: 

1. In order to make your efforts fast, it is essential to keep a chart of remembrance. Look in the mirror every day and check: How long do I remember the most beloved Father? 

2. Forget everything you have studied and remain silent. There is no need to say anything. Have your sins absolved through remembrance of the Father. 

Blessing: May you be free from waves of sorrow and remain constantly safe under the canopy of God’s love. 

Just as a lotus remains detached while being in muddy water and, to the extent that it is detached, it is loved by everyone, similarly, you children have become detached from the world of sorrow and are loving to the Father. God’s love becomes a canopy of protection for you. What can anyone do to those who have God’s canopy of protection over them? Therefore, maintain the spiritual intoxication that you are those who remain under the canopy of God’s protection and that waves of sorrow cannot even touch you. 

Slogan: Those who glorify the name of BapDada and the Brahmin clan through their divine character are the lamps of the clan. 


मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - मरजीवा बने हो तो सब कुछ भूल जाओ, एक बाप जो सुनाते हैं, वही सुनो और बाप को याद करो, तुम्हीं संग बैठूँ'' 

प्रश्न:- सद्गति दाता बाप बच्चों की सद्गति के लिए कौन सी शिक्षा देते हैं? 

उत्तर:- बाबा कहते - बच्चे सद्गति में जाने के लिए अशरीरी बन बाप और चक्र को याद करो। योग से तुम एवरहेल्दी, निरोगी बन जायेंगे। फिर तुम्हें कोई भी कर्म कूटने नहीं पड़ेंगे। 

प्रश्न:- जिनकी तकदीर में स्वर्ग के सुख नहीं हैं, उनकी निशानी क्या होगी? 

उत्तर:- वह ज्ञान सुनने के लिए कहेंगे हमारे पास फुर्सत ही नहीं है। वो कभी ब्राह्मण कुल के भाती नहीं बनेंगे। उन्हें पता ही नहीं पड़ेगा कि भगवान भी किसी रूप में कभी आते हैं। 

गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है... 

धारणा के लिये मुख्य सार:- 

1) तीव्र पुरुषार्थ के लिए याद का चार्ट जरूर रखना है। रोज़ आइने में अपना मुँह देखना है। चेक करना है - हम मोस्ट बिलवेड बाप को कितना समय याद करते हैं! 

2) जो कुछ पढ़ा है वह भी भूल चुप रहना है। मुख से कुछ भी कहना नहीं है। बाप की याद से विकर्म विनाश करने हैं। 

वरदान:- परमात्म प्यार की छत्रछाया में सदा सेफ रहने वाले दु:खों की लहरों से मुक्त भव 

जैसे कमल पुष्प कीचड़ पानी में होते भी न्यारा रहता है। और जितना न्यारा उतना सबका प्यारा है। ऐसे आप बच्चे दु:ख के संसार से न्यारे और बाप के प्यारे हो गये, यह परमात्म प्यार छत्रछाया बन जाता है। और जिसके ऊपर परमात्म छत्रछाया है उसका कोई क्या कर सकता! इसलिए फ़खुर में रहो कि हम परमात्म छत्रछाया में रहने वाले हैं, दु:ख की लहर हमें स्पर्श भी नहीं कर सकती। 

स्लोगन:- जो अपने श्रेष्ठ चरित्र द्वारा बापदादा तथा ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करते हैं वही कुल दीपक हैं। 


MURLI SONG


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