Saturday, June 9, 2012

Essence of Murli 09-06-2012

Essence: Sweet children, everything the true Father is telling you is true. Remain truthful to such a true Father. Let there be no falsehood or cheating in you.

Question: What contrasts do you children understand very clearly at the confluence?

Answer: What Brahmins do and what shudras do; what the path of knowledge is and what the path of devotion is; what the battlefield of a physical army is and what your battlefield is. Only you children understand all of these contrasts. No one else understands the contrast between the golden age and the iron age.

Song: Mother, o mother, you are the bestower of fortune for all!

Essence for dharna:
1. In order to become free from punishment, settle all your accounts. Don’t hide anything from the true Father. Renounce telling lies and cheating. Stay on the pilgrimage of remembrance.
2. Just as the Father brings benefit to even those who harm you, in the same way, bring benefit to everyone. Give everyone the Father’s true introduction.
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Blessing: May you be feeling-proof and transform anything wasteful into powerful by being a holy swan.

Transform all wasteful thoughts, words, deeds, relationships and connections of the whole day into something powerful. Do not take anything wasteful into your intellect. If you accept even one piece of waste, that one piece of waste will then make you experience a lot of waste. This is known as having feelings. Therefore, be a holy swan and transform anything wasteful into powerful and you will become feeling-proof. If someone insults you or gets angry with you, you just give them the cool water of peace. This is the duty of a holy swan.

Slogan: The means of revealing the seed of spiritual endeavour is the attitude of unlimited disinterest. 

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सत्य बाप तुम्हें सब सत्य सुनाते हैं, ऐसे सच्चे बाप से सदा सच्चे रहना है, अन्दर में कोई भी झूठ कपट नहीं रखनी है''

प्रश्न: संगम पर तुम बच्चे किस कान्ट्रास्ट को अच्छी तरह से जानते हो?

उत्तर: ब्राह्मण क्या करते और शूद्र क्या करते, ज्ञान मार्ग क्या है और भक्ति मार्ग क्या है, उस जिस्मानी सेना के लिए युद्ध का मैदान कौन सा है और हमारा युद्ध का मैदान कौन सा है - यह सब कान्ट्रास्ट तुम बच्चे ही जानते हो। सतयुग अथवा कलियुग में इस कान्ट्रास्ट को कोई नहीं जानते।

गीत:- माता ओ माता....

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सजाओं से छूटने के लिए अपने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं। सच्चे बाप से कुछ भी छिपाना नहीं है। झूठ कपट का त्याग करना है। याद की यात्रा में रहना है।
2) जैसे बाप अपकारियों पर भी उपकार करते हैं ऐसे सब पर उपकार करना है। सबको बाप का सत्य परिचय देना है।

वरदान: होलीहंस बन व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने वाले फीलिंग प्रूफ भव

सारे दिन में जो व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ बोल, व्यर्थ कर्म और व्यर्थ सम्बन्ध-सम्पर्क होता है उस व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दो। व्यर्थ को अपनी बुद्धि में स्वीकार नहीं करो। अगर एक व्यर्थ को भी स्वीकार किया तो वह एक अनेक व्यर्थ का अनुभव करायेगा, जिसे ही कहते हैं फीलिंग आ गई इसलिए होलीहंस बन व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दो तो फीलिंग प्रूफ बन जायेंगे। कोई गाली दे, गुस्सा करे - आप उसको शान्ति का शीतल जल दो-यह है होलीहंस का कर्तव्य।

स्लोगन: साधना के बीज को प्रत्यक्ष करने का साधन है बेहद की वैराग्य वृत्ति। 


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